मंगलवार, 1 मार्च 2016

छैयां छैयां में ऐसा क्या हैं ?

तो कहानी शुरू होती हैं 1998 में। 
जब मणिरत्नम अंकल रोजा और बॉम्बे के बाद अपनी टेरर ट्राइलॉजी की तीसरी क़िस्त में दिल से लेकर आएं। 
          कुछ गड़गड़ाहट बदलो की। 
बच्चों के गाने की आवाज। 
एक लम्बा वॉयलिन शायद D मेजर ।
 हेलीकाप्टर की आवाज।
 एक एक कलाकार का नाम स्क्रीन पर। 
अंत में मणिरत्नम का।

          नाके पर टैक्सी रूकती हैं। जाँच होती हैं। टैक्सी में है शाहरुख़ खान। शाहरुख़ खान की ट्रेन लेट हैं(टाइम पर होती तो छूट जाती।)
        अचानक एक हवा का झौका आता हैं। और स्टेशन के एक साये से शॉल उड़ा ले जाता हैं। आह। मनीषा कोइराला। शाहरुख़ हमेशा की तरह चपड़ चपड़ करने लगता हैं। मनीषा कहती हैं- एक कप चाय। शाहरुख़ चाय लेने जाता हैं । और एक ट्रेन आती हैं। मनीषा चली जाती हैं। स्टेशन पर वो चिल्ला रहा की ओये। चाय पर बारिश टपकती है-टप।
बैकग्राउंड से धुँए की तरह आवाज उठती हैं -जिनके सर होsssss।
यही से जादू शुरु होता है।

अमा रुकिए। डूबना मना है। अभी तो सुनो की
गाना शुरू हुआ।मलाइका मैडम बैठी प्लस लेटी है। एक खुले ट्रेन की छत पर। कैमरा लॉन्ग शॉट से आकर साइड में लेटता है। अब मोहतरमा ने उधर हाथ लाकर  अंगड़ाई ली। ऐतिहासिक अंगड़ाई। अब वैसी ही अंगड़ाई खड़े होकर।जब तक थाप पर ठुमका एन्जॉय करना शुरू करते हो। ट्रेन एक गलियारे नुमा सुरंग में घुस जाती हैं। जब फिर रौशनी होती हैं। तो शाहरुख़ नाच रहे। फिर तो बस छैयां छैयां।
इस गाने की हजार खासियत।
एक तो कोरियोग्राफी । कही पैतरा भर का फर्क नही। हर मूमेंट सतत हैं। म्यूजिक के बारे में क्या कहे। और गुलजार साहब के बोल। उफ़्फ़।
लड़की की आवाज- ताबीज बना के पहनू उसे
उसी समय पर लड़के की आवाज- वो यार है जो इमां की तरह।

आह।
ये गाना देखिये।
बार बार।
किसी भी बार निराश नही होंगे।


   यह गाना न सिर्फ इस फिल्म में पर चार और हॉलीवुड जगत में उपयोग में लाया गया हैं | यह गाना रहमान साहब के आल टाइम कलेक्शन का हिस्सा भी हैं | और बीबीसी द्वारा 2002 में कराए गये 151 देशो कि वोटिंग में ये गाना top 10 में शामिल हैं |
    तो अब मत पूछना कि छैयां छैंया में ऐसा क्या हैं ?